Sad poem
मै लफ्जोँ मेँ कुछ भी इजहार नही करता
इसका मतलब ये नहीँ कि मै तुझे प्यार
नहीँ करता
चाहता हुँ मै तुझे आज भी पर
तेरी सोच मेँ अपना वक्त बे-कार नहीँ करता
तमाशा ना बन जाये कही मोहब्बत मेरी
इसलिऐ अपने दर्द का नमुदार नहीँ करता
जो कुछ मिला है उसी से खुश हुँ मै
तेरे लिये भगवान से तकरार नहीँ करता
पर कुछ तो बात है तेरी फितर्त मेँ 'ऐ जालिम
वरना मै तुझे चाहने की खता बार-बार
नहीँ करता
मै लफ्जोँ मेँ कुछ भी इजहार नही करता
इसका मतलब ये नहीँ कि मै तुझे प्यार
नहीँ करता...!
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