आरजु थी तेरी बाँहोँ मेँ दम निकले, कसुर तेरा नहीँ बद- नशीब हम निकले! जहाँ भी जाये खुश रहे तु सदा, दिल से दुआँ सदा ये ही निकले! मेरे हाँठो की हँसी तेरे हाँठो से निकले, तेरे गम का दरियाँ मेरी आँखोँ से निकले! ये जिन्दगी तुमहेँ सदा हसती हुई निकले, अगर चाहे तो हमेँ रुलाती हुई निकले! अगर जिन्दगी मे जीना पडे तेरे बिन, तेरी डोली से पहले अर्थी मेरी निकले! आरजु थी तेरी बाँहोँ मेँ दम निकले, कसुर तेरा नहीँ बद- नशीब हम निकले...!
humne chalte hue unse poocha ki ek pal mai jan kaise niklti hai aur usne ek pal mai mera hath chor diya
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ReplyDeleteJaan
DeleteAkhlesh Singh
ReplyDeleteYou
ReplyDeleteJoy das
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