Khushi aur gham


जिन्दगी इन्सान को कहाँ से कहाँ ले आती है,
एक पल खुशी तो दुसरे पल गम दे जाती है,

चाहते है जिसे दिलो जान सनम,
अकसर उसे गम दे जाते है,
प्यार करने से रोका नहीँ पर,
निभाना है कैसे उससे ये जाना नही,

करके वफाये भी हम उससे,
निभाना है कैसे ये हम जानते नही,
प्यार तो हम उससे करते बहुत,
सनम पर दिखाना हम जानते नही,

चाह कर भी पा ना सके जिसे,
उससे अकसर अपना मानते नही,
जाने ऐसा क्युँ होता है...

जिन्दगी इन्सान को कहाँ से कहाँ ले आती है,
एक पल खुशी तो दुसरे पल गम दे जाती है.

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