Duaaa hai zindgi

फिर एक सिगरेट जला रहा हुँ
फिर एक तिली बुजा रहा हुँ
:
तेरी नजर मे ये एक गुनाह है
मै तो तेरी यादेँ भुला रहा हुँ
:
समझना मत इसको मेरी आदत
मै तो बस धुआँ ऊडा रहा हुँ
:
ये तेरी यादोँ के सिलसिले हैँ
मै तेरी यादे जला रहा हुँ
:
मै पीकर इतना बहक चुका हुँ
के गम के किस्से सुना रहा हुँ
और पिला रहा हुँ
:
है मेरी आँखेँ तो आज नम
मगर मै सबको हँसा रहा हुँ
:
खोकर अपनी जिन्दगी मेँ
अपने बे-तन्हा प्यार को भुला रहा हुँ
:
एक सिगरेट की शमां के बहाने
मै अपने आप को जला रहा हुँ!

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